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Tuesday, 8 December 2009

हेडली पर आरोप तय होना बड़ी कामयाबी


अमेरिकी अदालत द्वारा पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा के संदिग्ध आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली के खिलाफ मुंबई हमलों की साजिश में शामिल होने का आरोप तय करना भारत के लिए एक बड़ी कामयाबी है। इसके अलावा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पहली बार अमेरिका से सही मदद मिलती दिख रही है क्योंकि हेडली-राणा मामले में चल रही जांच के नतीजे साझा करने के लिए एफबीआई का एक दल भारत आया हुआ है। यह भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान उनके समक्ष जताई गई मामले में करीबी सहयोग करने की राष्ट्रपति बराक ओबामा की प्रतिबध्दता दर्शाता है। गौरतलब है कि ओबामा ने वादा किया था कि एफबीआई की जांच के नतीजों को साझा करने में अमेरिका पूरा समर्थन देगा।

मुंबई हमला मामले में पाकिस्तान की अदालतों ने तो एक साल बाद भी अनमना सा रवैया अपनाया हुआ है जबकि अमेरिकी अदालत ने अक्तूबर में गिरफ्तार किए गए हेडली पर आरोप भी तय कर दिए हैं। सोमवार को शिकागो की एक अदालत ने हेडली पर मुम्बई हमलों की साजिश में शामिल होने और उसके तथा लश्कर एवं हरकत-उल-जेहाद इस्लामी (हूजी) के बीच सम्पर्क स्थापित करवाने वाले पाकिस्तानी सेना के मेजर से सम्बन्ध रखने का आरोप तय किया। शिकागो में फेडरल कोर्ट में दायर आरोपपत्र में कहा गया कि हेडली ने मुम्बई में हमलों से पहले दो साल से ज्यादा वक्त तक अपने लक्ष्यों की सघन रेकी की थी। उसने सितम्बर 2006, फरवरी तथा सितम्बर 2007, अप्रैल एवं जुलाई 2008 में मुम्बई की पांच बार यात्रा की थी। इस दौरान उसने हमलों का निशाना बनाए जाने वाले लक्ष्यों की फोटो और वीडियो तस्वीरें ली थीं। हेडली के खिलाफ आपराधिक सूचना, भारत में सार्वजनिक स्थानों पर बम विस्फोट करने की योजना बनाने, भारत तथा डेनमार्क में लोगों की हत्या करने और हड़कंप मचाने, विदेशी आतंकवादी साजिशों में साजोसामान संबंधी सहयोग करने, लश्कर-ए-तैयबा को भी ऐसी ही मदद करने तथा भारत में अमेरिकी नागरिकों की हत्या करने के आरोप तय किए गए हैं। इलिनाय के अमेरिकी अटार्नी पैट्रिक जे। फिट्जगेराल्ड और फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (एफबीआई) के शिकागो कार्यालय के स्पेशल एजेंट इंचार्ज ने आरोपों की घोषणा की।

हेडली और उसके एक अन्य सहयोगी तहव्वुर हुसैन राणा को लश्कर की शह पर भारत में हमले करने और डेनमार्क के एक अखबार को निशाना बनाने की साजिश रचने के आरोप में अक्तूबर में एफबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। मेजर रहमान का नाम पहले इस मामले में शामिल नहीं था लेकिन राणा और हेडली के खिलाफ आरोपों की शुरुआती जांच में रहमान का नाम भी सामने आया। रहमान ने हेडली तथा उससे जुड़े अन्य लोगों के बीच बातचीत करवाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। हेडली पर लगाए गए आरोपों के मुताबिक उसने 15 फरवरी 2006 को फिलाडेल्फिया में अपना नाम दाउद गिलानी से बदलकर डेविड कोलमैन हेडली रख लिया था। उसने ऐसा इसलिए किया ताकि भारत में घुसने में आसानी हो और इस प्रयास में वह न तो मुस्लिम और न ही पाकिस्तानी नागरिक लगे। आरोप के मुताबिक सितम्बर 2006 से जुलाई 2008 के बीच हेडली ने जितनी बार भारत की यात्रा की, वह लौटकर पाकिस्तान ही गया और वहां अपने सह-षडयंत्रकारियों से मिलकर उन्हें हमलों का निशाना बनाए जाने वाले स्थानों के फोटो और वीडियो दिखाए। आरोपों में कहा गया है कि मार्च 2008 में हेडली और उनके सह-षडयंत्रकारियों ने हमलावरों के दल के मुम्बई में समुद्र के रास्ते दाखिल होने के सम्भावित स्थलों के बारे में बातचीत की थी। हेडली को निर्देश दिए गए थे कि वह मुम्बई में बंदरगाह के अंदर और उसके आसपास नौकाएं लाए तथा वह सर्विलांस वीडियो अपने साथ रखे जो उसने अप्रैल 2008 में भारत यात्रा के दौरान बनाया था।

बहरहाल, आरोप तय होने के बाद अब उम्मीद है कि अमेरिकी अदालत जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई पूरी कर अपना निर्णय सुनाएगी। अमेरिका इस संबंध में भारत को जो सूचनाएं मुहैया करा रहा है, उस पर मीडिया की खबरों के अनुसार भारतीय सुरक्षा एजेंसियां त्वरित कदम उठा रही हैं। दोनों देशों के बीच जारी इस सहयोग ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत किया है। आपसी विश्वास को बढ़ाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। एफबीआई प्रमुख राबर्ट एस मुलर का यह कहना कि एफबीआई अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से साझीदारी बढ़ाने की दिशा में काम जारी रखेगी, बहुत सकारात्मक बयान है इससे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों के नेटवर्क का पता लगाने और उनसे निपटने में आसानी होगी। हेडली का मामला आतंकवाद से लड़ाई में वैश्विक सहयोग की जरूरत दर्शाता है, इस बात को ध्यान में रख कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को तेज किया जाना चाहिए।

भारत माता की जय

नीरज कुमार दुबे

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