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Saturday 23 July, 2016

मानवता के दुश्मनों से निपटना जरूरी


ज्यूरिख में बंदूकधारी युवा के हमले में नौ नागरिकों के मारे जाने की घटना यूरोप में आम नागरिकों पर बमुश्किल एक सप्ताह में हुआ तीसरा हमला है। दोहरी नागरिकता रखने वाले 18 वर्षीय जर्मन-ईरानी ने एक मॉल में घुसकर अंधाधुंध गोलीबारी कर नौ लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद आत्महत्या कर ली। इसी तरह की घटनाएँ कुछ और देशों में भी हाल फिलहाल देखने को मिली हैं, जो दर्शाती हैं कि बड़ी संख्या में युवा दिग्भ्रमित हो रहे हैं। ज्यादातर घटनाओं में देखा गया है कि हमलावरों का आईएसआईएस जैसे कुख्यात आतंकवादी संगठनों से सीधा संपर्क भले नहीं हो लेकिन उसकी विचारधारा के साथ खुद को जोड़ कर ही वह समाज के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं। म्यूनिख की घटना गृहयुद्ध की स्थिति वाले देशों से अन्य देशों में पलायन करने वाले लोगों की मुश्किलें भी बढ़ाएगी। उल्लेखनीय है कि जर्मनी ने पिछले साल रिकॉर्ड संख्या में 11 लाख शरणार्थियों एवं प्रवासियों को स्वीकार किया था।

इस अपराध को अंजाम देने के पीछे क्या मंशा थी, यह तो जाँच के बाद ही पता चलेगा लेकिन जिस नये प्रकार का आतंकवाद बढ़ रहा है उससे निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर उपाय खोजने होंगे। खुद की जान की परवाह नहीं करने वाले ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो अति धार्मिक हो जाने की स्थिति में और किसी खास विचारधारा से प्रभावित होकर लोगों की जान लेने पर उतारू हो जाते हैं। फ्रांस के नीस में ट्रक से लोगों को कुचल कर मारने की घटना हो, ढाका के रेस्त्रां में कुछ युवाओं की ओर से किये गये हमले की घटना हो या फिर म्यूनिख की घटना, तीनों में एक बात समान है कि हंसते खेलते लोगों को मौत की नींद सुला दिया गया।

जर्मनी में हुई इस घटना के बाद यूरोप के अन्य देशों पर भी आतंकवादी हमले होने की संभावना बढ़ गयी है। चुनौतीपूर्ण बात यह है कि हमले बड़े समूहों के माध्यम से नहीं बल्कि छोटे-छोटे गुटों या फिर एकल व्यक्ति के माध्यम से अंजाम दिये जा रहे हैं। हर नये हमले की वीभत्सता पिछले हमले से ज्यादा होती है। प्रश्न उठता है कि क्या इस गलत दिशा में जाने से लोगों को रोका नहीं जा सकता? विश्व के कई देश अपनी अपनी शक्तियों का बखान जब तब करते रहते हैं, उन्हें चाहिए कि इस समस्या का भी मिलबैठ कर तुरंत हल निकालें क्योंकि मानव जीवन से मूल्यवान वस्तु कुछ भी नहीं है। दिग्भ्रमित लोगों को वापस इस दुनिया से जोड़ देने से ही असल शक्ति की पहचान होगी।

भारत माता की जय
नीरज कुमार दुबे