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Thursday 26 November, 2009

26/11: एक वर्ष बाद भी जख्म हैं ताजा

मुंबई पर आतंकवादी हमले को हुए आज एक वर्ष भले हो गया हो लेकिन उस दौरान जो जख्म मिले वह अब तक भरे नहीं हैं। क्योंकि इस हमले के मुख्य षडयंत्रकर्ता अभी भी कानूनी पकड़ से दूर सीमा पार बैठे हैं। यही नहीं जैसा कि प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों कहा, उन्हें मिल रही खुफिया सूचनाओं के मुताबिक पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन भारत पर 26/11 जैसे हमले की साजिश रच रहे हैं। वह तो भला हो एफबीआई का जिसने भारत पर से एक बड़ा खतरा तब टाल दिया जब उसने डेविड कोलमन हेडली और तहाव्वुर हसन राणा को गिरफ्तार कर खुलासा किया कि यह दोनों लश्कर-ए-तैयबा के निर्देश पर भारत और डेनमार्क में आतंकवादी हमले करने की साजिश रच रहे थे। हेडली और राणा से पूछताछ से जो खुलासे हुए हैं उन्होंने कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किये हैं। सवाल यह है कि हमारा खुफिया तंत्र मुंबई हमले के बाद एक बार फिर क्यों विफल रहा जब वह हेडली और राणा के भारत दौरे के उद्देश्यों को नहीं जान पाया।

26/11 और उससे पहले जयपुर, अहमदाबाद, दिल्ली, असम आदि राज्यों में जो बम विस्फोटों की घटनाएं हुईं, उसने केन्द्रीय गृहमंत्री के कामकाज पर सवालिया निशान लगाया तो शिवराज पाटिल की इस पद से विदाई हुई और उसके बाद पी। चिदंबरम इस पद पर आए। यह सही है कि चिदंबरम ने एक प्रोफेशनल की भांति अपने मंत्रालय पर ध्यान दिया और देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए। चिदंबरम की पहलों का भी इसमें योगदान कहा जाएगा कि 26/11 के बाद देश पर कोई आतंकी हमला नहीं हुआ लेकिन चिदंबरम लगता है कि सिर्फ आतंकवाद पर ही अपना ध्यान केंद्रित किए हुए हैं देश में पनप रहे नक्सलवाद/माओवाद के प्रति उनके बयानों में ही गंभीरता दिखती है। कभी तो वह इनके खिलाफ कार्रवाई की बात कहते हैं तो कभी बयान देते हैं कि केन्द्र उनके खिलाफ कोई अभियान नहीं चला रहा। आतंकवाद या किसी ऐसी ही अन्य बुराई से लड़ने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत है इसमें राजनीति नहीं आड़े आने देनी चाहिए।

समय आ गया है जब आतंकवाद के खिलाफ बयान और साझा घोषणापत्र जारी करने से आगे बढ़ा जाए। वैसे आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाना सिर्फ सरकार का ही काम नहीं है, इस पर यदि विजय पानी है तो हम सभी को अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार रहना चाहिए। आइए आज सबसे पहले उन निर्दोष लोगों की आत्माओं की शांति के लिए प्रभु से प्रार्थना करें जिन्होंने मुंबई हमले के दौरान अपनी जान गंवाई। साथ ही हम यह भी प्रण्ा लें कि आतंकवाद के खिलाफ हम सभी एक रहेंगे, इसमें कोई राजनीति आड़े नहीं आने दी जाएगी, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमारे बीच कोई मतभेद नहीं रहेगा, जब कभी देश पर बुरी नजर उठाने की कोशिश की गई तो सुरक्षा बलों समेत आम जन उसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। भारत माता की जय।

नीरज कुमार दुबे

1 comment:

निर्मला कपिला said...

जरूर अब कुछ तो आगे बढना ही चाहिये। शहीदों को शत शत नमन जै हिन्द