View My Stats

Friday 1 May, 2009

चलो माना तो सही, लेकिन अब कुछ करोगे भी क्या?


आखिरकार अमेरिका ने आज मान ही लिया कि भारत विश्व के सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित देशों में से एक है। हालांकि इसके साथ ही अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के अभियान की धीमी प्रक्रिया पर भी चिंता जताई है और यह भी कहा है कि भारत में हुए आतंकी हमले और ऐसी ही अन्य घटनाएं बताती हैं कि आतंकी चंदे की मोटी राशि मिलने के कारण आर्थिक रूप से काफी समृध्द हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक 'कंट्री रिपोर्ट्स आन टेरेरिज्म-2008' में कहा गया है मुंबई और देश भर में हुए ऐसे ही हमले बताते हैं कि आतंकियों को चंदे में मोटी रकम मिल रही है और वे आर्थिक रूप से बहुत समृध्द हैं। रिपोर्ट में 26/11 के मुंबई हमलों के अलावा 2008 में देश में हुए अन्य प्रमुख हमलों का भी उल्लेख है जिनमें जयपुर विस्फोट, काबुल में भारतीय दूतावास के अलावा अहमदाबाद, दिल्ली और असम के विस्फोट भी शामिल हैं। मुंबई हमलों पर रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों का मानना है कि आतंकियों ने क्रेडिट कार्ड्स के अलावा हवाला और दान से मिले पैसे समेत कई स्रोतों का उपयोग किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का मानना है कि हमलों का उद्देश्य भारत पाक के संबंधों को बिगाड़ना, देश में हिंदू मुस्लिम हिंसा को बढ़ाना और अर्थव्यवस्था को बिगाड़ना है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत का मानना है कि देश में बड़े आतंकी हमलों के पीछे लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद और हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी (बांग्लादेश) जैसे इस्लामिक चरमपंथी संगठनों का हाथ है। वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आतंकवादी आधुनिक तकनीक से भी भरपूर परिचित हैं। मुंबई हमलों को देश के सबसे खतरनाक हमले की उपमा देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में स्थानीय और प्रदेश की पुलिस प्रशिक्षण्ा के मामले में बहुत कमजोर है और सभी के बीच समन्वय की भारी कमी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि भारत ने बाहर से आने वाले यात्रियों की जानकारी पाने के लिए विकसित यात्री सूचना प्रणाली लागू कर दी है लेकिन यह अमेरिका और यूरोपियन संघ की प्रणाली से जानकारी बांटने के अनुरूप नहीं है।

बहरहाल, अब जब अमेरिका ने यह मान लिया है तो उसे चाहिए कि वह आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और धारदार बनाने के लिए अपना सहयोग प्रदान करे लेकिन उसका यह सहयोग निस्वार्थ होना चाहिए लेकिन अमेरिका से ऐसी अपेक्षा करना बेकार है। लेकिन उसने बीच चुनावों में विपक्ष के हाथ बड़ा मुद्दा तो थमा ही दिया है जोकि आतंकवाद के मुद्दे पर संप्रग सरकार को पहले ही घेरे हुए है।
नोट:- यह पूरी रिपोर्ट आप निम्न लिंक पर जाकर डाउनलोड़ कर सकते हैं- http://www.scribd.com/doc/11536774/Country-Reports-on-Terrorism-Report-२००८

नीरज कुमार दुबे

1 comment:

संजीव कुमार सिन्‍हा said...

जानकारी देने के लिए आभार कि अमेरिका ने माना है कि भारत विश्‍व के सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित देशों में से एक है। लेकिन अतीत हमें जो बताता है उसका आपने सही उल्‍लेख किया है। अब जब अमेरिका ने यह मान लिया है तो उसे चाहिए कि वह आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और धारदार बनाने के लिए अपना सहयोग प्रदान करे लेकिन उसका यह सहयोग निस्वार्थ होना चाहिए लेकिन अमेरिका से ऐसी अपेक्षा करना बेकार है।