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Friday, 7 August 2009

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता


अमेरिकी ड्रोन के मिसाइल हमले में पाकिस्तान के सर्वाधिक वांछित आतंकवादी बैतुल्ला महसूद का मारा जाना आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी जीत है। महसूद के मारे जाने से पाक तालिबान तालिबान सदस्य अपनी गतिविधियों को स्थगित करने पर मजबूर होंगे। यह जीत मुख्य रूप से अमेरिका की है और उसने अपने उस रुख को सही साबित किया है जिसमें उसने पाक के कबायली क्षेत्रों में आतंकवाद के खिलाफ अभियान की कमान पाक के हाथों में देने से मना कर दिया था।

बैतुल्ला का मारा जाना कितनी बड़ी कामयाबी है इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि अमेरिका ने उस पर 50 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम रख रखा था। पाकिस्तान सरकार ने भी महसूद के मारे जाने पर 615000 डॉलर के इनाम की घोषणा की थी। पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या और पाकिस्तान भर में कई आत्मघाती हमलों की साजिश रचने के आरोपी तहरीक-ए-तालिबान प्रमुख महसूद की मौत से राहत भले पाकिस्तान और अमेरिका को मिली हो लेकिन आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में यह घटना मील का पत्थर है।

दूसरी ओर भारत में मुंबई महानगर में छह साल पहले गेटवे आफ इंडिया तथा जावेरी बाजार में दो विस्फोट करने के आरोप में एक दंपत्ति सहित लश्कर-ए-तैयबा के तीन सदस्यों को मौत की सजा सुनाया जाना भी सराहनीय कदम है। गौरतलब है कि इन विस्फोटों में 52 लोग मारे गए और 244 अन्य घायल हुए थे। अदालत का यह फैसला आतंकवाद में शामिल लोगों के लिए एक संदेश है कि यदि वे बर्बर काम करेंगे तो कानून उन्हें नहीं बख्शेगा।

इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पुलिस ने भी आतंकवाद के खिलाफ एक सफलता हासिल करते हुए हिज्बुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों को पकड़ा है जोकि पुलिस के अनुसार पाकिस्तान में प्रशिक्षित कर यहां हमले करने के लिए भेजे गये थे। पुलिस के अनुसार, इन दोनों ने स्वीकार किया है कि इनके तार पाकिस्तान स्थित आतंकवादी गुटों से जुड़े हुए हैं।

आतंकवाद के खिलाफ यह सभी सफलताएं दर्शाती हैं कि लड़ाई बिल्कुल सही दिशा में नहीं तो कमोबेश सही दिशा की ओर बढ़ती हुई लग रही है। आतंकवाद के खिलाफ हो रहे वैश्विक प्रयासों के लिए बधाई। आतंकवाद रूपी राक्षस का खात्मा करके ही कलयुग से सतयुग में प्रवेश किया जा सकता है लेकिन इसके लिए जबरदस्त राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।

नीरज कुमार दुबे