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Wednesday, 31 December 2008

कट्टरपंथियों को लोकतंत्र का तमाचा


बांग्लादेश में चुनावी नतीजे शेख हसीना और बांग्लादेश के लिए तो सुखद रहे ही साथ ही यह भारत के लिए भी अच्छे कहे जा सकते हैं क्योंकि एक तो हसीना के आने से बांग्लादेश से भारत विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगने के आसार हैं तो दूसरी ओर इन चुनावों में जिस प्रकार कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी का सफाया हुआ है उससे सभी कट्टरपंथी संगठनों को सीख मिलेगी। भारत के जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी अलगाववादियों को चुनावों में झटका लगने के बाद बांग्लादेश में भी कट्टरपंथियों को जनता का झटका वाकई अच्छे भविष्य का संकेत है।

चुनाव परिणाम सामने आने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी नीत गठबंधन के महत्वपूर्ण धड़े जमियत-ए-इस्लामी को करारी हार का सामना करना पड़ा है और चुनाव में इस कट्टरपंथी पार्टी के सभी सिपहसालार धूल चाटते नजर आए। उल्लेखनीय है कि जमियत-ए-इस्लामी ने 1971 के बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान का पक्ष लिया था। इस चुनाव में पार्टी को दो सीटों से संतोष करना पड़ा जबकि 2001 के चुनाव में उसे 20 सीटें हासिल हुई थी। जमियत-ए-इस्लामी के प्रमुख मोतिउर रहमान तथा महासचिव अली अहसन मोहम्मद मुजाहिद ने हार स्वीकार कर ली है।

अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना भारत के करीब हैं। वह 1996-2001 के दौरान सत्ताा में रहीं। इस दौरान दोनों देशों के आपसी संबंध बेहतरीन रहे। उनके शासनकाल में ऐतिहासिक गंगा जल बंटवारा समझौता हुआ। हसीना की भारत से निकटता को देखते हुए ही भारत ने उम्मीद जताई है कि नई सरकार वहां से चलाए जा रहे आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं को तवज्जो देगी। भारत ने पूर्ववर्ती सरकार को भी बांग्लादेश के इलाकों से चलाई जा रही आतंकवादी कार्रवाइयों से अवगत कराया था। लेकिन कहा गया कि यह गलत है। अब सरकार को बांग्लादेश के समक्ष उल्फा तथा अन्य उग्रवादी संगठनों के वहां स्थित ठिकानों पर कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाना चाहिये।

भारत के पड़ोसियों पर निगाह डालें तो नेपाल में नई सरकार के साथ भारत ने अच्छा सामंजस्य बनाया है। अब बांग्लादेश में भारत समर्थक सरकार आने जा रही है। श्रीलंका तो भारत के साथ है ही। सरकार को प्रयत्न होना चाहिए कि सभी पड़ोसी देशों से भारत विरोधी गतिविधियों पर रोक लगे। पाकिस्तान पर भी इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जा रहा है। अब इंतजार है तो इन प्रयासों के सफल होने का। यदि विदेशी धरती का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं हो तो भारत में आतंकवाद नहीं फैल सकता। इसलिए इस ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।

नीरज कुमार दुबे

3 comments:

Unknown said...

bahut sahi likha hai dubey jee..

nav warsh ki haardik subhkaamnaaye....

Vinay said...

नववर्ष की शुभकामनाएँ

संजीव कुमार सिन्‍हा said...

भारत के जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी अलगाववादियों को चुनावों में झटका लगने के बाद बांग्लादेश में भी कट्टरपंथियों को जनता का झटका वाकई अच्छे भविष्य का संकेत है।
बेहतरीन लेख।
आंग्‍ल नववर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं।