ब्लॉग जगत में मेरा जिस प्रकार स्वागत हुआ, उससे मैं अभिभूत हूं। वाकई अपने भावों की अभिव्यक्ति का यह एक सशक्त माध्यम है। एक ऐसा मंच है जहां आपकी बात सुनने के लिए गंभीर लोग मौजूद हैं। देशभक्ति का जज्बा लोगों में किस कदर भरा है, यह मेरे लेख पर आई प्रतिक्रियाओं से भी ज्ञात हुआ। वाकई मैं आप सभी का समर्थन पाकर स्वयं को धन्य महसूस कर रहा हूं। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। पहले देश से इस आतंकवाद रूपी राक्षस का संहार करेंगे उसके बाद दुनिया से ताकि विश्व में अमन, चैन, शांति और भाईचारे का वास हो।
मैं श्री संजीव कुमार सिन्हा, श्री गिरिश बिल्लोरे 'मुकुल', श्री अक्षय मान, श्री अशोक मधुप, श्रीमती रचना गौड़ 'भारती' जी, श्री प्रवीण त्रिवेदी, श्री दिनेश राय द्विवेदी, श्री धीरू सिंह, श्री दिगम्बर नासवा और श्री राजीव जी आदि का विशेष रूप से धन्यवाद व्यक्त करना चाहता हूं। आप लोगों द्वारा व्यक्त किये गये शब्दों ने मन में अतिरिक्त ऊर्जा भरने का काम किया। मैं आप सभी को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि अपने 'लक्ष्य' की प्राप्ति के लिए पूरी ईमानदारी के साथ कर्तव्य निभाऊंगा। आप सभी को धन्यवाद देर से व्यक्त कर सका इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूं। दरअसल व्यस्तता इतनी रहती है कि 24 में से सिर्फ चार घंटे ही सो पाता हूं। उन चार घंटों में से कुछ समय निकालकर यह पत्र लिख रहा हूं जिसे रविवार को पोस्ट करूंगा।
प्रभु हमारे देश को आतंकवाद रूपी राक्षस से दूर रखे और हम सभी भारतवासी सुखी, समृध्द और स्वस्थ रहें, ऐसी मेरी हृदय से कामना है। आप सभी के लिए ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ
नीरज कुमार दुबे
2 comments:
देखिये टिप्पणियाँ तो प्रोत्साहित करती हैं, पर हर कोई टिप्पणी नहीं लिखना चाहता, लेकिन पढ़ना हर कोई चाहता है. यह आप पर है कि आप क्या परोसेंगे.
नहीं, नहीं मेरे कहने का यह मतलब नहीं है कि कोई यदि कचरा लिखे तो उसे भी लोग पढने लगेंगे. मैं तो यह कह रहा हूँ कि आप टिप्पणियों को अपनी लोकप्रियता का पैमाना न मानें. क्योंकि लोग पढ़कर खिसक लेते हैं. अतः आप अपना कर्तव्य निभाते रहें और हम सभी को प्रेरित करते रहें.
सशक्त रूप से, जोश के साथ और सही सोच के साथ अपनी बात कहें या कहते चलें बिना टिप्पणियों का इंतज़ार किए. यदि आपको यह लगे कि कम टिप्पणियाँ मिली हैं तो लेख का शीर्षक आकर्षक चुनें और आलेख भी आपकी बौद्धिकता को प्रस्तुत करे.
@ई-गुरु राजीव !!!!
bilkul sahi guru ji!!!
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