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Friday, 9 January 2009

मुंबई हमलों से दुनिया भर को सतर्क होने की जरूरत


अमेरिकी कांग्रेस में हुई चर्चा का यह निष्कर्ष वाकई चिंता का विषय है कि मुंबई में तबाही का मंजर पैदा कर देने वाले तुलनात्मक रूप से कम आधुनिक तकनीक के हथियारों के साथ आए हमलावर दूसरे आतंकवादियों के लिए आदर्श बन सकते हैं और भविष्य में हमलों के लिए उनकी नकल कर सकते हैं। मुंबई के हमलों से मिले सबक को लेकर कांग्रेस कमेटी के साथ चर्चा में एफबीआई और न्यूयार्क पुलिस विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि भारत की वित्ताीय राजधानी पर हुए हमले इस प्रकार के हमलों में आतंकवादियों द्वारा अपनाई गई रणनीति एक बड़ा मोड़ है। उन्होंने कहा- यह बेहद जरूरी है कि इन हमलों की साजिश रचने वालों को कानून के कठघरे में खड़ा किया जाए क्योंकि ऐसा नहीं करने पर इस प्रकार के और हमले हो सकते हैं।

वाकई यह समय कार्रवाई करने का है, कार्रवाई भी ऐसी होनी चाहिए जिससे आतंकवाद को कड़ा संदेश जाये। लेकिन हम अभी तक सिर्फ राजनय के माध्यम से ही पाकिस्तान पर दबाव बनाने में जुटे हुये हैं। यह कैसा राजनय है कि जिससे हमें भी खुश करने के प्रयास जारी हैं और उस राजनय से पाकिस्तान भी खुश ही है। भले ही उस पर अमेरिका सहित अन्य देशों का भारी दबाव पड़ रहा है लेकिन वह कर तो अपने मन की ही रहा है। हमला करने या गलती करने के बाद जो भय उसके चेहरे पर दिखाई देना चाहिए वह नहीं दिखाई दे रहा है।

यह भी वाकई शर्मनाक है कि सिर्फ परंपरागत हथियारों के बल पर 10 आतंकवादियों ने तबाही का एक खौफनाक मंजर पैदा कर दिया जिसमें 500 लोग हताहत हुए। इसलिए अमेरिकी कांग्रेस का यह निष्कर्ष सही प्रतीत होता है कि हमलावरों का तुलनात्मक रूप से कम आधुनिक हथियारों के साथ आना एक मोड़ साबित हो सकता है। एफबीआई के प्रमुख खुफिया अधिकारी डोनाल्ड एन वान डयून ने कहा भी है कि यह हमला स्पष्ट तौर पर सफल था और दूसरे संगठन दुनिया के दूसरे हिस्सों में इस माडल की नकल करने की कोशिश करेंगे। मुंबई हमलों का सबसे बड़ा सबक इस बात को पुष्ट करता है कि कम संख्या वाले प्रशिक्षित और प्रतिबध्द हमलावर कम आधुनिक हथियारों से काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। दरअसल कमी हमारे में यह है कि हम ऐसी रणनीति पर अपना ध्यान केंद्रित करते है जो आकर्षक और गोपनीय हो। लेकिन ज्यादातर आतंकवादियों के मामले में, वे ऐसी चीज पर ध्यान देते हैं जो कारगर हों।

यह भी देखने में आया है कि आतंकवादियों का मीडिया के प्रति बेहद रुझान है और उन्होंने इसके जरिये काफी सफलता भी पाई है। मीडिया के जरिए आतंकवादियों ने दुनिया को 72 घंटों तक हिलाए रखा। निश्चित तौर पर मुंबई के हमलों ने यह दिखा दिया है कि इस तरह के हमले दुनियाभर में किए जा सकते हैं। ऐसे संभावित हमलों से सतर्क होने की बेहद आवश्यकता है। इस संबंध में गृह मंत्री पी। चिदंबरम का यह बयान कि घटना से पहले हमें सजग होना होगा, काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी को आधार बनाकर ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को सही मुकाम तक पहुंचाया जा सकता है।

नीरज कुमार दुबे

2 comments:

Amit Kumar Yadav said...

आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!

Dev said...

आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....